नई दिल्ली, 17 जनवरी, 2025 – बीएमआई (बॉडी मास इंडेक्स) को एक बार फिर मोटापे के निदान के लिए उपयोगी उपकरण के रूप में आलोचना का सामना करना पड़ रहा है। द लैंसेट के विशेषज्ञों का कहना है कि केवल बीएमआई पर निर्भर रहना सही नहीं है। उन्होंने सुझाव दिया है कि डॉक्टरों को मोटापे का पता लगाने के लिए मरीज के समग्र स्वास्थ्य पर ध्यान देना चाहिए।
बीएमआई एक साधारण गणना है जिसमें किसी व्यक्ति के वजन (किलोग्राम) को उनकी लंबाई (मीटर) के वर्ग से विभाजित किया जाता है। इसके मानक मानदंडों के अनुसार:
- 18.5 से कम: कम वजन
- 18.5 से 24.5: सामान्य वजन
- 24.5 से 30: अधिक वजन
- 30 से अधिक: मोटापा
हालांकि, यह मापदंड पूरी तरह से सटीक नहीं है क्योंकि यह शरीर में फैट और मसल्स के बीच अंतर नहीं कर पाता। एक हालिया अध्ययन में पाया गया कि अगर मोटापे की परिभाषा उच्च बॉडी फैट प्रतिशत पर आधारित हो, तो कई लोग जिनका बीएमआई सामान्य है, वे वास्तव में मोटे हो सकते हैं।
मोटापे की बेहतर पहचान के लिए प्राचीन यूनानी गणितज्ञ आर्किमिडीज का 2,000 साल पुराना सिद्धांत मददगार हो सकता है। आर्किमिडीज ने पाया कि किसी वस्तु को पानी में डुबोने पर वह जितना पानी विस्थापित करती है, वह उसके वॉल्यूम के बराबर होता है।
बॉडी फैट प्रतिशत मापने का तरीका
- पहले व्यक्ति का सामान्य वजन लिया जाता है।
- फिर उसे पानी में पूरी तरह से डुबोकर वजन किया जाता है।
- पानी में विस्थापित वॉल्यूम और वजन के अंतर का उपयोग करके शरीर के वॉल्यूम और बॉडी फैट प्रतिशत की गणना की जाती है।
हालांकि यह तरीका बीएमआई की तुलना में जटिल है, लेकिन यह स्वास्थ्य जोखिमों की अधिक सटीक जानकारी प्रदान कर सकता है। यह तरीका मोटापे और हृदय रोग जैसे जोखिमों की पहचान में सहायक हो सकता है।